दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिन यशवंत वर्मा के ऊपर उच्च न्यायालय ने 3 सदस्यीय समिति जांच बिठा दी है
दमन पर दाग जज के स्टोर रूम में लगी आग के बाद कहां तक जाएगी अधजली नोटों की आंच। जस्टिस वर्मा से सभी न्यायिक जिम्मेदारियां ले ली गई। जांच पूरी होने तक अर्जुन राम मेघवाल कानून मंत्री ने टिप्पणी की है। दिल्ली उच्च न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की आवास के स्टोर रूम से भारी मात्रा मे पांच -पांच सौ के जले नोट मिले हैं।
इस समय न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा चर्चा के विषय है। जस्टिस वर्मा का कहना है, कि यह पैसा ना ही मैंने रखा है और ना ही मेरे परिवार ने इस पैसे से हमारा कोई लेनदेन नहीं है और नाही हम इस पैसे को जानते है इससे हमारा या हमारे परिवार का कोई लेनदेन नहीं है यह हमारे छवि को खराब करने की साजिश है। जस्टिन वर्मा को न्यायायिक जिम्मेदारियां से मुक्त कर दिया गया है।
मामला क्या है ? जस्टिस यशवंत वर्मा का:
दिल्ली हाई कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास स्टोर रूम में 14 मार्च कि रात को अचानक से आग लग गई, मौके पर अग्निविभाग की टीम पहुंच कर आज पर काबू पाया आग बुझाने के बाद स्टोर रूम में पांच -पांच सै के जले हुए नोट मिले नोट मिलने से अग्निक कार्मिक आश्चर्यचकित हो गए, भारी मात्रा में जले हए नोट मिला।
जिसके कारण जस्टिस वर्मा के ऊपर नकद कैस रखने के आरोप लगे। दिल्ली अग्निश्मन विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग ने 21 मार्च को अग्निकर्मियों को नगदी कैश न मिलने का दवा से इनकार कर दिया था।
न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच बिठाया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस वर्मा के मामलों की तह तक जांच कि और जांच की रिपोर्ट सौप दी गई।22 मार्च को इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के द्वारा तीन सदस्य आंतरिक जांच समिति का गठन किया गया है।
कार्यवाही के 23 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले के पास से कूड़े के ढेर मे से पांच -पांच सौ नोट जेल मिले, इस मामले में अर्जुन राम मेघवाल कानूनमंत्री ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट तरफ से तीन सदस्यीय जांच समिति का रिपोर्ट आ जाने के बाद ही इस पर कुछ कह सकते हैं।
जस्टिस यशवंत वर्मा कौन है और कहां से हैं इनके बारे में आइये कुछ जानकारी जानते हैं।
जस्टिस यशवंत वर्मा का का जन्म 16 जनवरी 1969 में प्रयागराज के इलाहाबाद में हुआ था इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से b.com ऑनर्स की डिग्री वहां से प्राप्त की, इसके बाद जस्टिस वर्मा मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की इसके बाद प्रयागराज इलाहाबाद इलाहाबाद के उच्च न्यायालय में वकील के रूप में कराधान कॉर्पोरेट कानून और कानून से संबंधित मामलों के अलावा औद्योगिक संवैधानिक श्रम विघानो के मामले में भी पैरवी की है। जस्टिस वर्मा 2006 से अपनी पदोन्नति तक प्रयागराज इलाहाबाद में हाई कोर्ट में विशेष वकील रह चुके हैं। जस्टिस यशवंत वर्मा 2012 से अगस्त 2013 तक यूपी सरकार के मुख्य स्थाई वकील रह चुके हैं। 13 अक्टूबर 2014 को इन्हें प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट की अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। जस्टिस यशवंत वर्मा 1 फरवरी 2016 को स्थाई न्यायाधीश बने। 56 साल कम्र में जस्टिस वर्मा को अक्टूबर 2021 में दिल्ली में हाई कोर्ट के जज की उपाधि दी गई। दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट के रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस वर्मा ने 8 अगस्त 1992 वकील की रूप में कोर्ट में प्रवेश किए थे । जस्टिस वर्मा 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे। जस्टिस से यशवंत वर्मा वर्तमान समय में जीएसटी बिक्री वह अन्य अपीलों के मामले का नेतृत्व करते हैं।
सीजेआई ने क्या कदम उठाया है, आरोप पर।
मुख्य न्यायाधीश सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना है। शनिवार को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति घटना जांच करेगी। जांच समिति का गठन दिल्ली के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी के उपाध्यक्ष की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीमकोर्ट जांच समिति में हरियाणा और पंजाब के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सील नाम और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधवालिया हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से हैं। और कर्नाटक हाई कोर्ट से जस्टिस अनु शिवरामन शामिल है।
सवाल यह है कि इस मामले में आगे क्या होगा।?
जस्टिस वर्मा केक खिलाफ सीजेआई ने जो तीन सदस्यीय समिति जांच बिठाई है। इसमें आंतरिक जांच प्रक्रिया दूसरे चरण में पहुंच गई है। इस जांच में जो भी फैसला आएगा वह जस्टिस वर्मा के भाग्य का फैसला करेगा अगर समिति नियम के मुताबिक जांच कर रही है अगर न्यायाधीश के खिलाफ गंभीर संबंधित मुद्दा मिल जाता है, तो सीजेआई जस्टिस वर्मा को उनको उनके पद से हटाने की सिफारिश कर सकती है। या जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने की मांग कर सकती है, यदि जस्टिस वर्मा इस्तीफा नहीं देतो हैं तो, सीजेआई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समिति निष्कर्ष बताते हैं। इसके बाद जस्टिस वर्मा के खिलाफ बहुत बड़े दोस्त की प्रक्रिया शुरू होगी।
किसी भी जज को उसके पद से हटाने के लिए प्रक्रिया क्या हो सकती है।
1999 सुप्रीमकोर्ट ने न्यायाधीशों के खिलाफ अनियमितताओं व भष्टाचार मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। इसमें होता क्या है कि अगर किसी न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार या अनियमितता से जुड़े आरोप लगाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आंतरिक जांच बिठाती है । उसके बाद न्यायाधीश से संबंधित जवाब मांगने के बाद अगर जवाब संतोष जनक नहीं हुआ, तो कोर्ट आगे के जांच लिए सुप्रीम कोर्ट से तीन न्यायाधीश की समिति बनाई जाती है। जस्टिस वर्मा के मामले की जांच इसी चरण में है।
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